महिला उत्पीड़न करने वाले अपराधियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए : लाल बहादुर खोवाल

 

21 Dec 2024 

न्यूज़ नगरी 

हिसार(ब्यूरो)-टेलीफोन एक्सचेंज में महिला यौन उत्पीड़न के विरुद्ध सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में समाजसेवी व एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल मुख्य वक्ता रहे और भीख नहीं किताब दो संस्था की संचालिका अन्नु चीनिया ने मनोनीत सदस्य के रूप में हिस्सा लिया। इस अवसर पर एडवोकेट खोवाल ने कहा कि कार्यस्थल पर यदि किसी का उत्पीड़न होता है तो आंतरिक शिकायत कमेटी उसकी सुनवाई करती है। इसलिए हर विभाग व संस्थान में उत्पीड़न संबंधी शिकायतों के लिए आंतरिक शिकायत कमेटी बनाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि महिला उत्पीड़न के विरुद्ध सजा का प्रावधान है लेकिन अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता व तत्परता बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि महिला उत्पीड़न करने वाले अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न, रोकथाम, निषेध और निवारण विषय पर आयोजित सेमिनार के दौरान बीएसएनएल के डीजीएम जगदीश चंद्र लाठर, आईएफए सुनीता गांधी, एडवोकेट विकास गोयल, एडवोकेट हिमांशु आर्य खोवाल, जगदीश बिश्नोई, एडवोकेट कुसुम, बीएसएनएल के एजीएम सुशील जौहर व सतपाल संधु और एसडीई प्रतिभा भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

 एडवोकेट खोवाल ने कहा कि किसी कर्मचारी पर डिमोशन का दबाव बनाकर, प्रमोशन का प्रलोभन देकर या प्रमोशन रूकवाने का डर दिखाकर आदि हथकंडे अपनाकर किसी महिला को गलत कार्य करने या गलत संबंध बनाने के लिए दबाव देना कानूनन अपराध है। इसी भांति किसी महिला कर्मी के प्रति आक्रामक हो जाने, उसके विरुद्ध आपत्तिजनक कार्य करने, उसके स्वास्थ्य व सुरक्षा से खिलवाड़ करने संबंधी कृत्य भी अपराध की श्रेणी में आते हैं। ऐसे कृत्यों के विरुद्ध कार्रवाई में आंतरिक शिकायत कमेटी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस समिति में विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ-साथ किसी एनजीओ से जुड़े व्यक्ति को भी सदस्य बनाने का प्रावधान है। इसी के तहत अन्नु चीनिया टेलीफोन एक्सचेंज की कमेटी की सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि आरोपी के खिलाफ कंपनी के संविधान या सर्विस रूल के अनुसार कमेटी कार्रवाई करती है।

लाल बहादुर खोवाल ने महिलाओं के विरुद्ध अपराध के संदर्भ में बनाए गए कानून की विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि संविधान के आर्टिकल 14, 15,19 व 21 के तहत समानता के अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता। लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। सभी को अपने ढंग से जीवन व्यतीत करने का अधिकार है। इन अधिकारों का हनन अपने आप में बड़ा अपराध है।

 उन्होंने बताया कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार लगातार अपराध बढ़ रहे हैं। वर्ष 2023 में महिलाओं के विरुद्ध अपराध संबंधी 4 लाख से अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं। आंकड़ों के अनुसार देश की राजधानी दिल्ली में हर रोज छह महिलाओं का रेप होता है। यह भी विडंबना है कि 95 प्रतिशत रेप की घटनाओं में महिलाओं के जानकार शामिल होते हैं। ऐसा कुकृत्य करने वालों में 65 प्रतिशत बहुत ही करीबी होते हैं। हरियाणा की बात करें तो आंकड़ों के अनुसार हर रोज तीन महिलाएं दुष्कर्म का शिकार हो रही हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार हर तीसरी महिला अपनी जिंदगी में एक बार यौन शोषण की शिकार अवश्य होती है। 38 प्रतिशत महिलाओं की हत्या भी उनके परिचितों या करीबी व्यक्ति द्वारा की जाती है। उन्होंने बताया कि मामले की रिपोर्ट देरी से मिलने, पुलिस द्वारा समय पर कार्रवाई न करने एवं साक्ष्यों के अभाव में चार मामलों में से केवल एक को ही सजा मिल पाती है।

  एडवोकेट खोवाल ने नाबालिग बेटियों के साथ होने वाले अपराधों के संदर्भ में भी कानूनी प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सूर्यास्त के बाद व सूर्योदय से पहले किसी महिला को थाने में नहीं बुलाया जा सकता। महिला से पूछताछ के लिए महिला पुलिस अधिकारी उपस्थित होनी चाहिए। महिला की चिकित्सकीय जांच महिला डॉक्टर ही करेगी यदि पुरुष चिकित्सक जांच करेगा तो साथ में कोई महिला उपस्थित रहनी चाहिए। महिला गवाह को पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन में नहीं बुलाया जा सकता। यदि पूछताछ की जरूरत है तो सादे कपड़ों में पुलिस उस महिला के घर जाकर जानकारी ले सकती है। उन्होंने कहा कि महिला उत्पीड़न को रोकने के लिए विद्यालयों में सेक्स एजुकेशन दी जानी चाहिए। उत्पीड़न के मामले में पुलिस ईमानदारी से काम करे और कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। उत्पीड़न करने वाले अपराधियों को न्यायालय कड़ी से कड़ी सजा दे।

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