02 May 2022
न्यूज़ नगरी
हिसार( कमल सैनी)-भारत में अस्थमा के रोगियों की संख्या लगातार बढ रही है इस समय भारत में 30 मिलियन से अधिक अस्थमा के रोगी है ऐसे में लोगों को अस्थमा रोग के प्रति जागरुकता और लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक होने की जरुत है। यह जानकारी हिसार के सीएमसी अस्पताल के चिकित्सक डा. साहिल पोपली व डा. दीपक कुमार ने विश्व अस्थमा दिवस पर प्रैस वार्ता करते हुए दी। चिकित्सकों ने बताया कि ग्लोबल बर्डन आफ डिजीज के अध्यन में अनुमान लगाया है कि भारत में 30 मिलियन से अधिक अस्थमा रोगी है जो वैश्विक बोझ का 13.09 प्रतिशत है हांलिक जब मृत्यु दर का बात आती है तो भारत में अस्थमा से होनेे वाली सभी मौतो का 42 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है विश्वस्तर पर किए गए जनसख्या आधारित अध्यनों ने अनुमान लगाया है कि अस्थम के 20 प्रतिशत से 70 प्रतिशत के रोगियों का निदान नही किया जा सकता है और इसलिए उनका ईलाज नही किया जा सकता । सीएमसी अस्पताल के डा. साहिल पोपली व डा. दीपक कुमार ने उन्होंने बताया कि रोगी अक्सर अपने शुरुवाती लक्षणों को नजर अंदाज कर देते है जो अंत उन्हें अधिक गंभीर स्थिति में ले जाता है। ग्बोबल अस्थमा नेट वर्क के अध्यक्ष के अनुसार भारत में शुरुवाती लक्षणों वाले 82 फीसदी और गभीर अस्थमा के 70 फीसदी मरीजों का पता नही चल पाता है निदान किए गए रोगियो में इस्टतम उपचार के पालन का प्रतिशत भी बहुत कम है। जिसमें 2.5 प्रतिशत से काम रोगी दैनिक इन्हेलेशन थैरेपी का उपयोग करते है अस्थमा जिसे अक्सर आम जनता द्वारा स्वास दमा या सर्दी व खांसी के रुप में सर्दभित किया जाता है एक पुरानी संास की बीमारी है जो सांस लेने में कठिनाई सीने में दर्द खासी और घरघराहट का कारण बनती है यह योग फेफडों के वायु मार्ग को प्रभावित करता है जिसे पुरानेी सुजन हो जाती है जिसे वायु मार्ग ़टिर्गर के प्रति अधिक सवेदनशील हो जाता है जिसे अस्थमा के दौरे की सभावना बढ जाती है। अस्थमा के कम निदान और उपचार के लिए विभिन्न योगदान कारको में रोग जागरुकता की कमी इन्हेलेशन थैरिपी का खराब पालन निरक्षरता गरीबी और सामाजिक कंलक शामिल है। जीएएन अध्यक्ष का हवाला देते हुए डा. साहिल पोपली ने बताया कि अस्थमा के प्रति सामाजिक कलंक को दूर करने के महत्व को जोर दिया। जब एक दमा का रोगी एक चिकित्सक से परार्मश करता है तो केवल 71 प्रतिशथ चिकित्सक ही अस्थमा का निदान अपनी बीमारी के नाम केरुप में देते है जबकि एक तिहाई अन्य शब्दावली का उपयोग करते है साथ ही रोगी स्तर पर केवल 23 प्रतिशत दमा के रोगो ही अपनी बीमारी को अस्थमा करते है। अस्थमा के खिलाफ जीत के लिए जागरुकता स्वीकृती और पालन को गठबंधन करने की जरुरत है। चिकित्सक दीपक कुमार ने कहा कि अस्थमा को एक कंलक के रुप में माना जाता है और कई रोगी इस बीमारी को छुपाते है यह केवल तब होता है जब लक्षण बढ जाते है या असहनिय होते है एक रोगी एक चिकित्सक से परार्मश करता हैऔर निर्धारित दवा लेगा। रोगियों के लिए समय की आवश्कता है कि वे एक चिकित्सक के साथ समय पर परामर्श प्राप्त करे जो उसे अपने लक्षणों के लिए सही जानकारी और निदान प्राप्त करने में मदद करेगा। अस्थमा के प्रबंधन के लिए समय पर निदान बहुत महत्वपूर्ण है।