03 Dec 2024
न्यूज़ नगरी
हिसार(ब्यूरो)-बच्चेदानी में गांठ की समस्या का इलाज इसके साइज के आधार पर किया जाता है. छोटे गांठ दवा की मदद से ही सूख जाते हैं, जबकि बड़े ट्यूमर के लिए ऑपरेशन करने की आवश्यकता होती है.
गर्भाशय या बच्चेदानी महिला प्रजनन प्रणाली का एक अहम हिस्सा होता है. ऐसे में इसमें गांठ बनने की समस्या बहुत गंभीर होती है. हालांकि यह ट्यूमर कैंसर में नहीं बदलते हैं, लेकिन जल्दी इलाज नहीं शुरू होने पर उसके बढ़ने का खतरा रहता है, जिससे दैनिक दिनचर्या में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
बच्चेदानी की गांठ के लक्षणों में पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग, नाभि के निचले हिस्से में दर्द, बार-बार पेशाब आना, शारीरिक संबंध बनाते वक्त दर्द होना, प्राइवेट पार्ट से खून आना शामिल है. फाइब्रॉयड ट्यूमर का जोखिम उन सभी महिलाओं को है जिन्हें पीरियड्स आते हैं. ऐसे में यदि आपको भी यह संकेत नजर आ रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं और इन 5 चीजों से तुरंत परहेज करें, वरना ऑपरेशन की जरूरत पड़ सकती है.
इन 5 चीजों से बढ़ती है बच्चेदानी की गांठ
Webmd के अनुसार, कुछ स्टडी में ज्यादा शुगर इनटेक को फाइब्रॉयड ट्यूमर के जोखिम से संबंधित पाया गया है. ऐसे में बच्चेदानी में गांठ होने के दौरान ज्यादा मीठा खाने की आदत इसे बढ़ा सकती है.
प्रसूति और स्त्री रोग विज्ञान में शोध के अनुसार, गोमांस, सूअर का मांस और भेड़ के बच्चे जैसे बहुत सारे पशु प्रोटीन खाने से फाइब्रॉएड विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है. यदि इसे ट्यूमर होने पर खाया जाए तो इसके बढ़ने की भी संभावना होती है.
हाई फैट डेयरी प्रोडक्ट्स में एस्ट्रोजन की मात्रा होती है, जिसके कारण इसे फाइब्रॉयड ट्यूमर वाले मरीज के लिए सेफ नहीं माना जाता है.
शराब और कैफीन बॉडी में एस्ट्रोजन के लेवल के बैलेंस को बिगाड़ने का काम करती है. ये हार्मोन फाइब्रॉयड ट्यूमर के बढ़ने के लिए जिम्मेदार होता है.
स्मोकिंग सेहत के लिए हानिकारक होता है. ऐसे में यदि आपको बच्चेदानी में गांठ की शिकायत है तो इसका सेवन बिल्कुल न करें.
कब करना पड़ता है बच्चेदानी की गांठ का ऑपरेशन
यदि ट्यूमर का साइज 4 सेंटीमीटर से अधिक है, तो इसे निकालने के लिए ऑपरेशन की जरूरत होती है. इसके अलावा लक्षणों के गंभीर होने और गांठ की संख्या बढ़ने पर भी डॉक्टर ऑपरेशन की सिफारिश कर सकते हैं.
फाइब्रॉयड का ऑपरेशन कितने में होता है?
इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, दिल्ली में फाइब्रॉएड सर्जरी का खर्च आम तौर पर ₹70,000 और ₹90,000 के बीच है. हालांकि शहर और अस्पताल की सुविधा के आधार पर यह खर्च अलग-अलग हो सकता है.