11 Mar 2025
न्यूज़ नगरी
रिपोर्टर-काजल
हिसार-आध्यात्मिक गीता ज्ञान प्रचारिणी सभा एवं समस्त हरि शरणम् परिवार के तत्वाधान में गीता भवन मंदिर, रामपुरा मौहल्ला में आयोजित ब्रह्म ज्ञान सत्संग के दूसरे दिन कथा व्यास हिमालय तपस्वी परमहंस गंगेनंदन महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रवचन देते हुए कहा कि मनुष्य आज ईश्वर का न होकर बाकी सभी का होकर रह गया है। आचार्य शंकराचार्य ने भी अपने अनुभव में कहा है कि शास्त्रों को कितना भी पढ़ लो लेकिन जागा हुआ पुरुष ही मनुष्य की चेतना को जगा सकता है। जो भी परमात्मा को खोजने चला है, वह अंत में कहता है नेति नेति नेति। जिसे हम बोल नहीं पाते, जिसे हम समझ नहीं पाते, ऐसा सत्य क्या है। एक शरीर को वायु, मिट्टी, अग्नि से बनाकर उसमें प्राण डाल दिये गये। वही परमात्मा है। इस रचना करने वाले तक पहुंचना, बुद्धि की सीमा से परे है। उसी को जानना जरुरी है। आज हमें यह भी नहीं पता कि हमें चाहिये क्या। हम झूठी शान और दिखावे में पडक़र स्वयं पर गर्व महसूस कर रहे हैं। आज जो हम बोलते हैं, वह अपने चरित्र में भी होना चाहिये। ऐसा न हो कि बोल कुछ रहे हैं और कर कुछ रहे हैं। यह सरासर धोखा है। दूसरे को दुख देते हैं अथवा कई तरीकों से परेशान करते हैं। अज्ञानता वश ऐसा करते हैं जबकि स्वयं को देखना ही ज्ञान है। हमें वह करना चाहिये जो ठाकुर जी बता रहे हैं, शिव बता रहे हैं लेकिन हम वह करते हैं जो हमें स्वार्थवश अच्छा लगता है। स्वयं कोई नहीं जानता कि मुझमें कितनी बुराईयां है। मनुष्य के दुख और कोई नहीं मिटा सकता, केवल सद्गुरु जो पूर्ण है, वही मनुष्य के दुख मिटा सकता है। अज्ञानता के कारण ही मनुष्य दुख भोग रहा है। ज्ञान होने पर मनुष्य दुखी नहीं होता।
सत्संग में सत्यनारायण शर्मा, एडवोकेट, महाबीर शर्मा, सुभाष कालड़ा, सुरेन्द्र पंवार, भतेरी, सुरेन्द्र बंसल, दयानंद, पवन गोयल, सुनील मेहता, गुरचरण लाल, डॉ. विशाल शर्मा, मिनाक्षी, सुशीला सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।