5 फरवरी
न्यूज़ नगरी ब्यूरो - हरियाणा के हिसार के रहने वाले एक दंपति ने घर की छत पर र्ओगेनिक खेती करके एक मिशाल प्रस्तुत की है। छत पर खेती करने से इसका सीधा ये लाभ हुआ कि पिछले एक साल से इन्हें बाहर से सब्जिया लाने की जरुरत नही पडी। छत पर किचन गार्डनिंग खेती करने वालो में अभी तक 100 से ज्यादा लोगो ने इस दंपित से निशुल्क ट्रैनिग ले चुके है। हिसार के सैक्टर 16-17 में रहने वाले दंपति ड़ा. ओमेंद्र सांगवान व उनकी पत्नी सुमित्रा ने अपनी छत पर टमाटर, नीबू, पालक, धनिया, मैथी, गोभी, बरोकली, बैगन, चेरी टमाटर, खीरे, आलू, प्याज, सहित अन्य सब्जियों की ओगेनिक खेती गमलो में की है। ये लोग हिसार शहर के लिए एक मिशाल बन गए है। दंपित रोजना एक दिन में इस कार्य पर दो घंटे का समय देते है। उनकी समय से देखभाल करना, पानी खाद देना, व गर्मी-सर्दी के दिनों में मौसम अनुसार पौधे की देखभाल करते है। और इनसे सब्जिया हासिल करते है। छत पर जो पोघे लगाए गए है। वह प्लास्टिंक के पोलीथीन में लगाए गए है। जिनको आनलाइन खरीदे गए है। व घर के वेस्ट सामान को गमलों के तौर पर इस्तेमाल करके पोधे लगाए है। इन दम्पति की खास बात ये कि अपने घर की खाद रसोई में इस्तेमाल होने वाले प्रोडेक्ट से तैयार करते है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविविद्याल में कार्यरत डा. ओमेद्र सांगवान ने कहा कि आज के दौरान सब्जियों में स्प्रे हो रहा है। ऐसे में सोचा कि आरगेनिक खेती की शुरुवात की जाए। उन्होंने बताया कि सभी सब्जियां घर पर ही लगाई है। छत पर गमलो में टमाटर, स्ट्राबेरी, चेरी टमाटर, नीबू, पालक, धनिया, मैथी, गोभी, बरोकली, बैगन, आलू, प्याज के पौधे लगाए है। जिससे सब्जिया हासिल की है। उन्होंने कहा कि विदेशी पौधे भी लगाए है। उन्होंने कहा कि 100 से ज्यादा लोगो ने उनसे ट्रैनिंग लेकर छत पर किचन गार्डनिग खेती शुरु कर दी है। उन्होंने कहा कि दो साल से हमारा देश कोरोना की महामारी से झुंझ रहे है। ऐसे में छत पर गमलो में ओगनेनिक खेती कर सकते है। उन्होंने बताया कि वे छुटी के दौरान घर पर काम करते है। हरियाली मेंं काम करने से काफी खुशी मिलती है। उन्होंने सभी से अपील है कि छत पर गलमों मे खेती करनी चाहिए। उन्होंने कहा परिवार के लोग उनकी पत्नी बच्चे इस कार्य को करने में उनका काफी सहयोग करते है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविविद्याल में कार्यरत डा.ओमेद्र सांगवान की पत्नी सुमित्रा सांगवान ने बताया कि वह दिन में दो घंटे का समय इन पौधो पर लगाते है। इनकी समय पर देखभाल करके यहां से सब्जिया हासिल करते है। वे खुद ही ओर्गेनिग खाद बनाते है। इसमें हम किसी तरह का कोई स्पे् नही करते है। इनसे हम टमाटर, गोभी खीरा व अन्य सब्जिया हासिल करते है। उन्होंने बताया की सैक्टर की कई महिलाओं ने अब छत पर खेती करनी शुरू कर दी है।