16 Feb 2022
अनिल यादव/न्यूज़ नगरी
भिवानी- संत रविदास कबीरदास के समकालीन और गुरुभाई कहे जाते हैं। वे बेहद परोपकारी थे और किसी को ऊंचा या नीचा नहीं मानते थे। संत रविदास जाति की बजाय मानवता में यकीन रखते थे और सभी को एक समान मानते थे। संत रविदास ने समाज को परोपकार की भाषा समझाई थी, जिस राह पर चलकर आज हजारों लोग समाज भलाई के कार्य करते है। यह बात अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण परिषद (अंतर्गत भारत सरकार) के चेयरमैन राजू मेहरा जताई ने केंद्रीय विद्यालय पालुवास में संत रविदास की जयंती पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कही। जताई ने कहा कि संत रविदास का जन्म हिंदु कैलेंडर के आधार पर माघ माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था, इसलिए हर साल माघ पूर्णिमा को रविदास जयंती मनाते हैं। उन्होंने कहा कि मन चंगा तो कटौती में गंगा ये काफी मशहूर कहावत है, इसका अर्थ है कि अगर व्यक्ति का मन शुद्ध है, किसी काम को करने की उसकी नीयत अच्छी है तो उसका हर कार्य गंगा के समान पवित्र है। ये कहावत संत रविदास की है। संत रविदास का मानना था कि परमात्मा ने इंसान की रचना की है, सभी इंसान समान हैं और उनके अधिकार भी समान हैं, ना कोई ऊंचा होता है और ना ही कोई नीचा होता है। संत रविदास ने अपना जीवन प्रभु की भक्ति और सत्संग में बिताया था। संत रविदास ने चालीस पदों की रचना की थी जिसे सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल किया गया था। जताई ने कहा कि संत रविदास ने समाज को एक नई राह दिखाने का काम किया था। स उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को संत रविदास के दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए तथा एक सभ्य समाज की संरचना में अपना योगदान देना चाहिए। इस अवसर पर केंद्रीय विद्यालय से हरिवंश मिश्रा पीजीटी, राकेश लाल पीजीटी, मुन्नी रानी टीजीटी, पल्लवी, अमरजीत कौर, निशा रानी, गीता, रोशनलाल रंगा, धर्मबीर सिंह बंगलिया, बिमला देवी, मंजू रानी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।