जातिवाद की जहरीली व्यवस्था को खत्म करके जातिविहीन भारत बनाने की छेड़ी मुहिम

 


24 June 2023

न्यूज़ नगरी -आज देश जातिवाद की जहरीली व्यवस्था में फंस कर धीरे-धीरे बंटता जा रहा है। देशवासियों में जातिवाद के दंश के कारण आपसी वैमनस्य का जहर घुल रहा है। देश की 90 प्रतिशत समस्याओं की जड़ में जातिवाद व्यवस्था ही है। इस जातिवाद की व्यवस्था को पूर्ण रूप से खत्म करके जातिविहीन भारत के सपने को साकार करना होगा ये सब बातें हिसार में जातिविहीन भारत अभियान की मुहिम शुरू करने वाले एडवोकेट वज़ीर सिंह ने शनिवार को पत्रकारों से बातीचत में कही।

जातिविहीन भारत अभियान के प्रमुख वज़ीर सिंह के अनुसार देश से जातिवाद के जहर को जड़मूल से खत्म किया जाना संभव है और इसके लिए उनके पास चरणबद्ध तरीके से लागू की जा सकने वाली व्यवस्था का प्रारूप तैयार है। उन्होंने बताया कि देश में एक बहुत बड़ा हिस्सा (लगभग 5 करोड़ परिवार) आज भी जातिवाद के कारण घृणित और अपमानित जीवन जी रहा है। इस जातिवाद का सबसे अधिक दुष्प्रभाव हिन्दू समाज को हुआ। जातिवाद ने देश में धर्म परिवर्तन को बढ़ाया दिया, जो आज बहुत तेजी से बढ़ रहा है। जातिवाद की व्यवस्था खत्म कर दी जायेगी तो धर्म परिवर्तन भी रुक जायेंगे।

उन्होंने बताया कि जातिवाद की घिनौनी व्यवस्था का विरोध गौतम बुद्ध, मौर्य शासक, रामानुजाचार्य, संत कबीर, रविदास, दादू दयाल, तुका राम, गुरु नानक, महात्मा फूले, नारायण गुरु, स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहेब अम्बेडकर ने अपने-अपने समय में जातिवाद और छुआछूत व्यवस्था को खत्म करने के प्रयास किये।

जातिवाद व्यवस्था को समाप्त करने के बारे में एडवोकेट वजीर सिंह ने बताया कि देश के संविधान की मूल भावना समतावादी समाज की है। संविधान के आर्टिकल 17 में छुआछूत व्यवस्था को खत्म करने की बात की गयी है। संविधान में संशोधन करके छुआछूत के साथ जातिवाद को जोड़कर और आर्टिकल 18 में धारा (5) जोड़कर नाम के आगे गौत्र, जाति या उपजाति लिखने की व्यवस्था खत्म करने का नियम जोड़कर जातिवाद को समाप्त किया जा सकता है। साथ ही कानून लाया जाये जिसके तहत सभी सामान्य वर्ग की जातियों और पिछड़ा वर्ग को मिलाकर एक सामान्य वर्ग बनाया जाये। इसमें अनुसूचित जातियों व जनजातियों को सामान्य वर्ग (विशेष) की श्रेणी में रखा जाये। लेकिन चरणबद्ध तरीके से सामान्य वर्ग (विशेष) को भी बाद में खत्म कर दिया जाये। आरक्षण केवल आर्थिक आधार पर हो और जो समय के साथ आर्थिक रूप से संपन्न हो जाये उसका आरक्षण समाप्त कर दिया जाये। सामान्य वर्ग (विशेष) में शामिल लोगों को 3000 रुपये प्रति व्यक्ति और 15000 रुपये प्रति परिवार अधिकतम की आर्थिक सहायता दस वर्षों तक दी जाये और परिवार के सक्षम होने पर उसे सामान्य वर्ग में शामिल कर लिया जाये। जो आरक्षण ओबीसी को मिल रहा है उसको सामान्य वर्ग में आर्थिक आधार पर किया जाये और एससी व एसटी को अलग-अलग मिल रहे आरक्षण को दस साल तक एकसाथ दिया जाये। बाद में उनके सक्षम होने पर उन्हें सामान्य वर्ग में शामिल कर लिया जाये। दस साल के बाद आरक्षण को आर्थिक आधार पर कर दिया जाये। उन्होंने बताया कि इसके अलावा सभी संस्थाओं, सामाजिक व राजनीतिक संगठनों में 30 प्रतिशत आरक्षण सामान्य वर्ग (विशेष) को दिया जाये। मंदिरों के प्रबंधन व पुजारियों की व्यव्स्था में भी 30 प्रतिशत आरक्षण विशेष वर्ग को मिले।

उन्होंने बताया कि जातिवाद व्यवस्था खत्म करने के लिए उन्होंने एक पुस्तक जातिविहीन भारत एक वास्तविकता भी लिखी है और इस पुस्तक में दी गयी व्यवस्था सरकार लागू करती है तो समाज में जातिवाद और राजनीति में वंशवाद व व्यक्तिवाद समाप्त हो जायेगा। साथ ही देश से धर्मांतरण खत्म हो जायेगा और धर्म वापसी आसान हो जायेगी। इस संबंध में वो आगामी लोकसभा सत्र से पहले सांसदों तक अपनी मांग पहुंचायेंगे और जरूरत पड़ी तो जातिविहीन भारत की मांग को लेकर कोर्ट में पीआईएल भी दाखिल करेंगे। उन्होंने बताया कि इस अभियान को पूरे भारत में ले जाया जायेगा। इस मौके पर उनके साथ इस अभियान से जुड़े ओमप्रकाश, सतबीर ङ्क्षसह, चौधरी बलदेव सिंह आदि भी उपस्थित रहे।

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