04 July
न्यूज़ नगरी
हिसार (काजल )- आषाढ पूर्णिमा का ऐतिहासिक महत्व महामाया का स्वपन, महाभिनिष्क्रमण, धम्मचक्पवतनाय भिक्खुओं वर्षोंवास दिवस बुद्ध विहार डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सभा, हरिदास कालोनी में हर्षोल्लास से मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ सम्मानित प्रशासक प्रो. करतार सिंह द्वारा दीप प्रज्जवलित कर व बुद्ध वंदना, त्रिशरण एवं पंचशील का संगायन सभी ने मिल किया। मुख्य वक्ता मियां सिंह व प्रोफेसर करतार सिंह ने धम्भचक्क पवत्तन दिवस की विस्तार से जानकारी दी। जयशील जे.के .जोशीवाल जिला अध्यक्ष भारतीय बौद्ध महासभा मुंबई शाखा हिसार ने हर आम गृहस्थ जीवन जीने वाले के लिए पंचशील को धारण करते हुए अष्टांगीक मार्ग और मध्य मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है व पांच शब्द का विस्तार से जानकारी दी। बौध गया में बौधिवृक्ष के नीचे सिद्धार्थ गौतम से बुद्धत्व प्राप्ति के बाद बुद्ध बन गए। उसके बाद सबसे पहले उन्होंने अपने पांच पुराने संगी साथियों को ढूंढ कर सारनाथ में दुखों से मुक्ति का मार्ग बारे विस्तार से जानकारी दी। पांच बच्चों को परिव्राजक बनाया गया और पांच नाम भी दिये गये महानाम, कौल्डिंय, अस्सी, बद्धिय एवं वप्प। धम्म मित्र दिलबाग बोद्ध ने प्रथम धम्मोपदश, बुद्ध और उनका धम्म ग्रंथ से पढ़ कर सुनाया। इस मौके पर प्रशासक प्रोफेसर करतार सिंह, वेद प्रकाश बौद्ध, मियां सिंह, एडवोकेट पवन तुण्डवाल, संदीप रंगा, दिनेश धानिया, चन्द्रभान धानिया, लैक्चरार सतीश चौहान, रविन्द्र भोकल, जितेन्द्र, महिला शक्ति कमलेश राय, आशा, संतोष बोध, वार्डन विनोद कुमार पूनिया, पवन कांटीवाल, प्रदीप कुमार आदि मौजूद रहे।