01 October 2024
न्यूज़ नगरी
हिसार(ब्यूरो)-ऋषि नगर स्थित विश्वकर्मा मंदिर के पुजारी एवं राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंस्था के पूर्व प्रधान आचार्य राममेहर शास्त्री ने बताया कि प्रत्येक वर्ष अश्विन मास शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रे पूरे 9 दिन मनाए जाते हैं लेकिन अब की बार ऐसा नहीं है। तृतीया तिथि की वृद्धि होने के कारण अब की बार पूरे 10 दिन मनाए जाएंगे शारदीय नवरात्रे। शारदीय नवरात्रे आश्विन मास शुक्ल पक्ष हस्त नक्षत्र और इंद्र योग में मनाए जाएंगे। नवरात्रे 3 अक्तूबर वीरवार को प्रारंभ होंगे और 12 अक्तूबर दिन शनिवार को समापन होगा। शारदीय नवरात्रों का हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व होता है। नवरात्रि एक संस्कृत का शब्द होता है, इसका अर्थ होता है नव जमा + रात्रि नवरात्रों में शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा आदि शक्ति के 9 स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है। पहले 3 दिन हम दुर्गा देवी का ध्यान करते हैं जो पराक्रम स्वालंबन और आत्मविश्वास की प्रतिमूर्ति है। अगले तीन दिन हम मां लक्ष्मी का ध्यान करते हैं जो शुभता और धन्यता की प्रतिमूर्ति है। अगले तीन दिन मां सरस्वती का ध्यान करते हैं, जो वाणी और ज्ञान की देवी है। शास्त्री ने बताया कि पंचांग के अनुसार अबकी बार शारदीय नवरात्रि बहुत ही खास और शुभ है क्योंकि अबकी बार यह नवरात्रे गुरुवार से शुरू हो रहे हैं। गुरुवार देव बृहस्पति का दिन माना गया है और बृहस्पति देवताओं का गुरु है। आचार्य राममेहर शास्त्री ने बताया अबकी बार मां दुर्गा डोली यानी के पालकी पर सवार होकर आ रही है। नवरात्रों में मां दुर्गा आदि शक्ति के 9 स्वरूपों की अलग-अलग पूजा अर्चना की जाती है जैसे प्रथम शैलपुत्री द्वितीयं ब्रह्मचारिणी तृतीयं चंद्रघंटा कुष्मांडा चतुर्थमं पंचमं स्कंदमाता षष्टं कात्यानी सप्तं कालरात्रि अष्टम महागौरी नवम सिद्धिदात्री इन नौ स्वरूपों की पूजा करने वाले भक्तों के घर में सुख समृद्धि और लक्ष्मी का वास होता है। मां दुर्गा आदिशक्ति सभी मनोकामना पूर्ण करती है संतानहीन को संतान की प्राप्ति होती है। मुकदमे में विजय की प्राप्ति होती है। बंदी बंधन से मुक्त होता है। नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
आचार्य राममेहर शास्त्री ने बताया 11 अक्तूबर दिन शुक्रवार को दुर्गा अष्टमी कन्या पूजन और लांगुरिया पूजन किया जाएगा। सभी नौ कन्याएं 9 वर्ष तक की होनी चाहिए। 12 अक्तूबर शनिवार को महानवमी मनाई जाएगी। दशहरा भी 12 अक्तूबर शनिवार को मनाया जाएगा। नवरात्रों में सभी नगर के मंदिरों को रंग बिरंगी लडिय़ों से सजाया जाता है। जो भक्त पूरे 9 दिन उपवास रखते हैं, उन्हें दशमी तिथि को पारण करना चाहिए यानी कि 13 अक्तूूबर रविवार को व्रत खोलना चाहिए। जो भक्त पूरे 9 दिन व्रत नहीं रख सकते, उन्हें पहला और आखिरी व्रत रखना चाहिए। नवरात्रों में मां दुर्गा आदि शक्ति की अखंड ज्योत लगाने का और दुर्गा सप्तशती का पाठ कराने का बहुत ही महत्व होता है। शास्त्री ने बताया वैसे तो नवरात्रों में किसी भी टाइम कलश स्थापना कर सकते हैं। शास्त्रोक्त मुहूर्त घटस्थापन 3 अक्तूूबर 2024 सुबह 6:15 से 7:50 तक अभिजीत मुहूर्त 11:50 से दोपहर 12:35 तक रहेगा 3 अक्तूबर को सबसे पहले रेती मे जौ बिजकर कलश के ऊपर आम के पत्ते लगाऐं कलश के कंठ पर मौली का धागा बांधे फिर उसके ऊपर लाल कपड़े में लपेटकर पानी वाला नारियल रखें। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें फिर कलश पूजन करें षोडश मातृका की पूजा करें फिर सूर्यआदि नवग्रह पूजा करें फिर मां आदिशक्ति दुर्गा देवी की पूजा करनी चाहिए। पूजन सामग्री में रोली, मोली, चावल, लौंग, इलायची, सुपारी, हल्दी की गांठ, फल-फूल, मिठाई, मां दुर्गा की चुनरी, मां दुर्गा का श्रृंगार आदि होना चाहिये।