22 Feb 2025
न्यूज़ नगरी
रिपोर्टर-काजल
हिसार-जनवादी लेखक हरियाणा की राज्य संचालन समिति के आह्वान पर हिसार की जाट धर्मशाला में जनवादी लेखक संघ का आठवां दो दिवसीय राज्य सम्मेलन का उद्घाटन आज प्रात: किया गया जिसमें खुले सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार इकबाल सिंह व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर रोशन लाल और संचालन सरदानंद राजली, मास्टर रोहतास और मंगतराम शास्त्री ने संयुक्त रूप से किया। हरियाणा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में सैंकड़ों लेखक, कवि,पत्रकार, साहित्यकार, समाजसेवी, विद्वान और विभिन्न प्रगतिशील जन संगठनों, समितियां और मंच के सदस्य शामिल हुए। सत्र के बाद दो दिन विचार-विमर्श करेंगे और जलेस हरियाणा की नई राज्य कमेटी का चुनाव करेंगे।
खुले सत्र को संबोधित करते हुए जलेस के राष्ट्रीय महासचिव संजीव कुमार ने कहा कि आज का समय बहुत चुनौती भरा समय है। आज एक तरह से अघोषित आपातकाल चल रहा है जिसमें सभी संविधान प्रदत्त अधिकारों का स्थगन है। व्यवहारिक अर्थों में लोकतंत्र को ध्वस्त किया जा रहा है। संविधान के मूल्यों का उल्लंघन लगातार हो रहा है। जिस समय आलोचनात्मक आवाजों को खरीदने का काम किया जाता हो, उस समय लेखकों का आगे आना और संगठित होना भी बहुत जरूरी है। यदि ये संगठन जन आंदोलन के साथ जुड़ जाते हैं तो धारदार लेखन के मुद्दे स्वत: ही तय हो जाते हैं। उन्होंने इस बात का स्वागत किया की ऐसी चुनौती भरे समय में हरियाणा में जनवादी लेखक संघ का सम्मेलन हो रहा है। जलेस के राष्ट्रीय सचिव मनमोहन ने बोलते हुए कहा कि आज का समय ऐसा समय है जब निरंकुश शासन का आपातकाल चल रहा है जिसमें अपराधीकरण, नसलवाद और उन्माद लगातार सक्रिय हैं। संस्थाओं की स्वायत्तता का लगातार हनन किया जा रहा है। ऐसी कठिन परिस्थितियों में भी यह आशा की किरण है कि पिछले 8-10 वर्षों में बहुत भारी संख्या में स्वत: स्फूर्त संघर्ष भी हो रहे हैं। तमाम नागरिक मुद्दों को लेकर जनसाधारण संघर्ष में हैं। ऐसे समय में साहित्य की, लेखन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। लेखकों के सरोकारों को गहरा करने के लिए, सामाजिक सरोकारों पर माथा-पच्ची करने के लिए संगठन की भूमिका बहुत ही विशेष है। अत: इस समय में जनवादी लेखक संघ जैसे संगठनों की भूमिका बहुत बढ़ जाती है। जलेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंचल चौहान ने बताया कि 1982 में जलेस का गठन किया गया था उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन के द्वारा हमने राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त की परंतु सामाजिक गुलामी बनी ही रही। बिना संघर्षों के समाज आगे नहीं बढ़ता। इसलिए आज के दौर में भी हमें लगातार संघर्ष करने चाहिए। आज सत्य बोलने के समक्ष भी कई बाधाएं हैं। इसलिए हम सबको इक_ा होना पड़ेगा यही संगठन की भूमिका है। सम्मेलन में कामरेड सुरेश कुमार सीटू, मनोज सोनी, रोहतास राजली, मुकेश कुमार, जितेंद्र बूरा, सुखदेव बधावड़, मैडम मंजू, दिनेश सिवाच, अनीता शर्मा, मास्टर रोहतास, प्रमोद गौरी, जयपाल सिंह, मंगतराम शास्त्री, मनजीत राठी, विनोद सिल्ला, दीपक वोहरा, सुशीला बहबलपुर, मनीषा, मास्टर रामकुमार, ऋषिकेश राजली आदि शामिल रहे।