19 May 2025
न्यूज़ नगरी
रिपोर्टर-काजल
हिसार-संस्कारों व सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता जताने वाले गुरुकुल आर्यनगर में 20 मई को गुरुकुल के संस्थापक स्वामी देवानंद सरस्वती की 40वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी। इस अवसर पर गुरुकुल के छात्र देशभक्ति की प्रस्तुतियां भी देंगे। इस कार्यक्रम में नगर निगम आयुक्त अशोक कुमार गर्ग मुख्यातिथि रहेंगे और सीकर के पूर्व सांसद व गुरुकुल के प्रधान स्वामी सुमेधानंद सरस्वती अध्यक्षता करेंगे। 20 मई को आयोजित होने वाले कार्यक्रम के संदर्भ में गुरुकुल में बैठक भी आयोजित की गई। इस बैठक में गुरुकुल के कार्यकारी प्रधान रामकुमार आर्य, उपप्रधान एडवोकेट सुभाष जांगड़ा, मंत्री एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल, मानद कुलपति पंडित रामस्वरूप शास्त्री, रामफल वर्मा, सुरेश कुमार शास्त्री, प्रबंधक कर्नल ओमप्रकाश, मुख्याधिष्ठाता इंद्र देव शास्त्री, सत्यव्रत आर्य, मान सिंह पाठक, एडवोकेट श्वेता शर्मा, विनय मल्होत्रा, निहाल सिंह डांगी, दीपचंद आर्य, राहुल आर्य, हिमांशु आर्य खोवाल, अश्विनी शास्त्री, कर्ण शर्मा व विनोद कुमार आर्य सहित काफी गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
गुरुकुल के मंत्री एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में हकृवि के रजिस्ट्रार डॉ. पवन कुमार, हकृवि के वित्त नियंत्रक नवीन जैन, प्रमुख समाजसेवी जिले सिंह टॉक, समाजेसवी संतोष कुमारी, शिक्षाविद गुन सागर जैन व प्रो. डॉ. के. के. वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर गुरुकुल के विद्यार्थी देशभक्ति व वैदिक संस्कृति पर आधारित प्रस्तुतियां देंगे। इस दौरान गुरुकुल के इतिहास व गुरुकुल शिक्षा पद्धति पर भी प्रकाश डाला जाएगा।
खोवाल बताया कि स्वामी देवानंद सरस्वती ने 13 अप्रैल 1964 को आर्यनगर गुरुकुल की स्थापना की थी। वे उस समय स्वतंत्रता सेनानी थे। आर्य नगर के लाला केसर दास बत्रा ने डेढ़ एकड़ जमीन दान स्वरूप दी। इस जमीन पर गुरुकुल का निर्माण किया गया। वर्तमान में गुरुकुल के मानद कुलपति आचार्य रामस्वरूप शास्त्री ने 13 अप्रैल 1964 को गुरुकुल में बच्चों की पहली कक्षा ली थी। 61 वर्षों तक गुरुकुल की सेवा करने के उपरांत अब भी वे गुरुकुल में पूरा सहयोग करते हैं। अभी-अभी गुरुकुल के संरक्षक प्रमुख समाजसेवी राजेंद्र गावड़िया ने गुरुकुल के साठ साल पुराने ब्लॉक की जगह नए ब्लॉक का निर्माण करा कर बहुत सुंदर भवन तैयार करवाया है। विशेष बात यह है कि गुरुकुल से शिक्षित विद्यार्थी अलग-अलग क्षेत्रों में रोजगारपरक कार्य कर रहे हैं। इतना ही नहीं बहुत से विद्यार्थी अपने स्तर पर कार्य करके स्वावलंबन की अलख जगा रहे हैं। इसके साथ-साथ ये विद्यार्थी वैदिक संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी विशिष्ट भूमिका अदा कर रहे हैं। यहां से शिक्षित विद्यार्थी विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पदों पर आसीन होकर जिम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य निभा रहे हैं।