गणित व्यक्ति को बनाता है तर्कशील: प्रो. बी.आर. काम्बोज


 22 Feb 2022 

कमल/न्यूज़ नगरी 

हिसार-गणित एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है। इस भाषा के द्वारा व्यक्ति अपनी सोच को विकसित कर सकता हैं। यह हमारे दैनिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण ही नहीं अपितु यह व्यक्ति को तर्कशीलता भी प्रदान करता है। यह विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने व्यक्त किए। वह आज विश्वविद्यालय के गणित एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की 134वीं जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय के गणित एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा हरियाणा राज्य विज्ञान, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के सहयोग से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे।

कुलपति ने कहा गणित और विज्ञान का एक लंबा और घनिष्ठ संबंध है जो दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। गणित जहां विज्ञान का एक आंतरिक घटक है, इसके ताने-बाने का हिस्सा है, इसकी सार्वभौमिक भाषा है और बौद्धिक उपकरणों का एक अनिवार्य स्रोत है। वहीं विज्ञान गणित को प्रेरित और उत्तेजित करता है, नए प्रश्न प्रस्तुत करता है, सोचने के नए तरीकों को जन्म देता है और अंतत: गणित की कंडीशनिंग करता है। उन्होंने कहा हम गणित का उपयोग करके दुनिया को आसानी से समझ सकते हैं। बीजगणित बता सकता है कि पानी कितनी जल्दी दूषित हो जाता है और तीसरी दुनिया के किसी देश में कितने लोग उस पानी को पीने से सालाना बीमार हो सकते हैं। ज्यामिति का एक अध्ययन पूरे विश्व में वास्तुकला के पीछे के विज्ञान की व्याख्या कर सकता है। इसी प्रकार सांख्यिकी और संभाव्यता भूकंप, संघर्ष और दुनिया भर में अन्य आपदाओं से मरने वालों की संख्या का अनुमान लगा सकती है। यह हानि-लाभ की भविष्यवाणी भी कर सकता है, विचार कैसे फैलते हैं, और पहले से लुप्तप्राय जानवर कैसे फिर से आबाद हो सकते हैं। उन्होंने कहा भले ही गणित को शुद्ध विज्ञान के रूप में पढ़ाया जाता है, लेकिन यह एक शुद्ध विज्ञान नहीं है, बल्कि इसे अन्य विषयों पर लागू किया जाता है, जो भौतिकी और इंजीनियरिंग से हट कर हंै। यह कृषि के लिए भी उपयोगी है। यह बेहतर जलवायु मॉडल डिजाइन करने, उर्वरकों के लिए रासायनिक सामग्री विश्लेषण करने, बेहतर मिट्टी विश्लेषण, योजना बनाने, प्लॉटिंग करने और भूखंड के आकार और आयामों को निर्धारित करने, व्यय और उपज के अनुमानों में सुधार करने आदि में मदद करता है।


प्रो. काम्बोज ने इस अवसर पर महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा गणित दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य रामानुजन के साथ भारत के सभी गणितज्ञों के योगदान को याद करने के साथ विद्यार्थियों के भीतर बैठे गणित के भय को भगाकर इस विषय के प्रति उनमें रूचि जगाना है। कुलपति ने गणित एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा प्रकाशित एक मैनूअल का विमोचन भी किया। मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. के.डी. शर्मा ने संगोष्ठी के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संगोष्ठी के चार प्रमुख विषयों पर प्रस्तुति के लिए करीब 180 रिसर्च पेपर चुने गए थे जिन्हे प्रतिभागियों द्वारा ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से प्रस्तुत किया गया। इन रिसर्च पेपरों के सारांश भी प्रकाशित किए गए। आयोजक विभाग की अध्यक्ष डॉ. मंजू टांक ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

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