10 March 2022
न्यूज़ नगरी
हिसार(कमल)-दुनिया भर में किडनी फेलियर के दो प्रमुख कारण है जोकि हाइपरटेंशन अथवा डायबिटीज है। इसके अलावा भारतीय उपमहाद्वीप में किडनी फैलियर गुर्दे की पथरी के कारण एवं जेनेटिक कारणों जैसे कि पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज और ग्लोबल नेफ्राइटिस के कारण भी होता है। यह जानकारी सर्वोदय मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के मुख्य चिकित्सक डा. उमेश कालडा न्यूरोसर्जन, चिकित्सक एमडी डीएम गुदारोग व गुर्दा प्रत्यारोपण रोग विषेज्ञ डा. अरविंद गुप्ता, यूरोलॉजिस्ट यूरो कैंसर सर्जन किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन क्षितिज बिश्नोई ने विश्व किडनी डे के उपल्क्ष्य में प्रैस वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि गुर्दे हमारे शरीर के एक अभिन्न अंग है। मनुष्य के शरीर में आमतौर पर 2 गुर्दे दे पाए जाते हैं। गुर्दों का काम हमारे शरीर से मेटाबोलिक बाय प्रोडक्ट्स को निकालने का होता है इसके अलावा गुर्दे शरीर में लाल खून बनने में सहायक होते हैं और कैल्शियम अथवा फ ास्फ ोरस जैसे खनिजों की मात्रा शरीर में कायम करते हैं। गुर्दे हमारे शरीर से अत्यधिक पानी को भी निकालने में सहायक होते हैं। वरिष्ठ चिकित्सक डा. उमेश कालडा ने कालडा ने कहा रोजाना की भाग के जीवन में सैर आवश्य करनी चाहिए तथा खाने हरि सब्जियों का सेवन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मीठे का अधिक सेेवन नही करना चाहिए और मानसिक तौर नही लेना चाहिए। सर्वोदय असपताल के डा. अरविंद गुप्ता ने बताया कि आमतौर पर किडनी फैलियर के शुरुआती लक्षण बहुत ही कम होते हैं और यह ज्यादातर स्टेज 3 अथवा हम 4 क्रॉनिक किडनी फैलियर में पाए जाते हैं। गुर्दे की बीमारी ने मरीज को पेशाब की मात्रा में कम होना शरीर में सूजन आनाए चेहरे पर सूजन आना पेशाब में खून आना भूख में कमी होना बार बार पेशाब आना अत्याधिक बीपी होना इस बीमारी के लक्षण होते हैं।
सर्वोदय अस्पताल के डा. क्षितिज बिश्नोई ने बताया कि क्रॉनिक किडनी फैलियर का विभिन्न तरीकों से उपचार संभव है और यह किडनी फैलियर की स्टेज के ऊपर निर्भर होता है। शुरुआती किडनी फैलियर स्टेज वन से चार स्टेज तक होता है इन स्टेज में किडनी फैलियर ट्रीटमेंट दवाइयों के द्वारा होता है और किडनी फैलियर के कारणों की रोकथाम पर होता है। स्टेज फ ाइव किडनी फैलियर आमतौर पर दो प्रकार का होता है जिसमें मरीज डायलिसिस डिपेंडेंट अथवा नॉन डायलिसिस डिपेंडेंट होता है। नोन डायलिसिस डिपेंडेंट मरीज का उपचार दवाइयों अथवा किडनी ट्रांसप्लांट के द्वारा होता है। डायलिसिस डिपेंडेंट मरीजों को किडनी डायलिसिस की जरूरत होती है या किडनी ट्रांसप्लांट के द्वारा इन रोगियों का इलाज होता है। डा. क्षितिज बिश्नोई व डा. अरविंद गुप्ता ने बताया कि जब पेशाब की नली में रूकावट के कारण मरीज के गुर्दे खराब होते हैं और क्रिएटनीन बढ़ जाता है तो उसे ऑब्स्ट्रक्टिव यूरोपैथी कहते हैंअलावा यूरिन रूटीन माइक्रोस्कॉपी के द्वारा हम गुर्दे में होने वाले नुकसान के बारे में पता लगा सकते हैं। अगर कोई मरीज लंबे समय से हाई बीपी अथवा शुगर का मरीज है या उसको गुर्दे में पथरी की समस्या है तो वह किडनी स्पेशलिस्ट से मिले और उपयुक्त जांच करवाएं। अमूमन यह तकलीफ पेशाब की नली में रुकावट के कारण जैसे की पथरी से रुकावट या गदूद से रुकावट होने के कारण होती है। किडनी ट्रांसप्लांट गुर्दा प्रत्यारोपण आज के इस दौर में 95 परसेंट से ज्यादा सक्सेसफुल है।