06 May 2022
न्यूज़ नगरी
हिसार ( कमल सैनी )- हरियाणा में हर महीने से 18 से 20 लोग ब्लड कैंसर का शिकार बन रहे हैं। यह संख्या केवल 14 वर्ष से अधिक आयु वालों की है। ब्लड कैंसर के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। फसलों में हो रहे पेस्टीसाइड के प्रयोग, रेडिएशन किरणों के संपर्क में आने व आनुवांशिक इसमें प्रमुख तौर पर शामिल हैं। ऐसे रोगियों के लिए ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट थैरपी बेहद कारगर है। उक्त विचार एक्शन कैंसर इंस्टीट्यूट नई दिल्ली द्वारा हरियाणा में शुरू किए गए जागरूकता अभियान के तहत अस्पताल के यूनिट हेड एवं वरिष्ठ कंसलटेंट हेमाटो ओंकोलॉजी डॉ.गौरव दीक्षित ने आज हिसार में पत्रकारों से बातचीत में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हिसार तथा इसके आसपास के लोग अब उपचार के दिल्ली में भी आते हैं, जिनमें ब्लड कैंसर के हर माह 50 से 60 एडल्ट केस आते हैं। बीमारी की खास बात यह है कि लोगों को इसका पता बहुत देर से लगता है। इसकी वजह से इसमें हाईरिस्क होता है। भारत में हर साल ब्लड कैंसर के एक लाख से ज्यादा नए मामले सामने आते हैं। ब्लड कैंसर तब होता है जब ब्लड बनाने वाली प्रणाली में असामान्य ब्लड कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ जाती है और वह स्वास्थ्य कोशिकाओं को खत्म करना शुरू कर देती हैं। डॉ.दीक्षित ने कहा कि अतीत में ब्लड कैंसर को घातक माना जाता था। आज ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ब्लड कैंसर और अन्य ब्लड विकारों के लिए एक संभावित जीवन रक्षक उपचार हो सकता है। ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट एक रोगी के खराब स्टेम सेल को स्वस्थ लोगों के साथ बदल देता है। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में मानव ल्यूकोसाइट एंटीजन (एचएलए) के रूप में जाना जाने वाला प्रोटीन होता है जो शरीर से संबंधित कोशिकाओं को उन कोशिकाओं से अलग करता है जो शरीर से संबंधित नहीं होती है। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट तभी सफल हो सकता है जब डोनर का एचएलए टाइप मरीज के एचएलए टाइप का हो। केवल लगभग 30 प्रतिशत रोगियों को एक सिबलिंग मैच होता है और शेष 70 प्रतिशत मैच करने वाले डोनर को खोजने पर निर्भर करते हैं। आज 38 मिलियन से अधिक संभावित असंबंधित डोनर को स्टेम सेल डोनर केंद्रों और रजिस्ट्रियों के साथ दुनिया भर में सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें से केवल 0.04 प्रतिशत भारतीय हैं। इस स्थिति को केवल भारत से कई और संभावित स्टेम सेल डोनर की भर्ती करके ही बदला जा सकता है।
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किसी भी उम्र में हो सकता है ब्लड कैंसर
डाक्टर गौरव दीक्षित के अनुसार ब्लड कैंसर होने की कोई उम्र निर्धारित नहीं है, यह किसी भी उम्र में हो सकता है। बल्ड कैंसर होने पर कैंसर की कोशिकाएं यानि सैल्स व्यक्ति के शरीर में खून को बनने नहीं देते इंसान को, जिस वजह से व्यक्ति में खून की कमी होने लगती है। शरीर के खून के साथ कैंसर व्यक्ति की बोन मैरो को भी नुकसान करता है।