27 Nov 2024
न्यूज़ नगरी
हिसार(ब्यूरो)-शिक्षाविद आशीष लावट ने कहा है कि घर के रिश्ते यानि जो हमारे रक्त सम्बंध हैं, उनके बारे में हम ज्यादा नहीं सोचते। वह तो साथ देंगे ही, यही सोचकर इनकी कद्र भी कम करते हैं इसलिए दुनिया के रिश्तों में भी हम कम सफल होते हैं। समझ में नहीं आता कि यह रिश्ते संभाले क्यों नहीं रहते। चंद मुद्दों पर जांच कर देखिए....... जीवन को सहज सुलभ और सकारात्मक बनाने में कारगर भूमिका निभाते हैं। भावनात्मक रिश्ते असल में भावनात्मक रूप से सुरक्षित रिश्ते हुए होते हैं जो एक व्यक्ति को खुलकर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने, बिना किसी डर के आत्मविश्वास से जीने और मानसिक शांति का अनुभव करने में मदद करते हैं। इस तरह के रिश्ते हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं, यह कहीं भी बन सकते हैं। घर में दफ्तर, स्कूल, कॉलेज आदि। चलिए जानने का प्रयास करते हैं कि रिश्तों में किन मुद्दों का ध्यान रखा जाए कि वह समय और समझ के साथ गहरे होते जाएं।
शिक्षाविद आशीष लावट ने कहा कि अपने आप से शुरुआत करें। आत्म स्वीकृति खुद को स्वीकार्य अपनी कमजोरी के साथ सहज रहे। उन्हें बिना किसी गलानी के दूर करने की कोशिश करें अपनी जरूरतें स्पष्ट करें। आप रिश्ते से क्या चाहते हैं। पहले कुछ समझे। आलोचना की बजाये प्रोत्साहन दें। सकारात्मक फैलाएं। उनके अच्छे गुणों की सराहना करें। आलोचना से बचें। गलतियों को प्यार से इंगित करें। माफी मांगें और माफ करें। दूसरे के नजरिए को समझें। यह समझने की कोशिश करें कि दूसरे व्यक्ति क्या महसूस कर रहे हैं। सीमाओं का सम्मान करे। इनकार को स्वीकारें। जब कोई दूसरा व्यक्ति मना करे तो उसे मजबूर ना करें। स्पेस दें, हर किसी को व्यक्तिगत समय और स्पेस की जरूरत होती है। गलतियां स्वीकारें। भरोसेमंद बनें। वचन निभाई जो कहते हैं, उसे पूरा करें। जिम्मेदारी लें। अपनी गलतियों को स्वीकार्य-सुधार का प्रयास करें। अगर कोई आपसे व्यक्तिगत बातें सांझा करता है तो उसका सम्मान करें। गोपनियता रखें.....