04 NOV 2025
न्यूज़ नगरी
रिपोर्टर-काजल
हिसार-भारत की जनवादी नौजवान सभा के राज्य प्रधान मुकेश दुर्जनपुर ने बताया कि गदर आंदोलन के महानायक शहीद करतार सिंह सराभा के गांव सराभा की यादगार यात्रा की। सराभा पजांब राज्य के लुधियाना जिले का एक चर्चित गांव हैं। लुधियाना शहर से यह गांव लगभग 15 मील की दूरी पर है। गांव में बारहवीं तक का सरकारी स्कूल है, जिसका नाम अब करतार सिंह सराभा मैमोरियल स्कूल है। गांव में गांव के लोगों द्वारा स्थापित सराभा मैमोरियल आयुर्वेद कालेज व हॉस्पिटल भी है और गांव से गुजरती मुख्य सड़क पर उनकी प्रतिमा लगी है। शहीद को सम्मान देते हुए लुधियाना शहर के बीचोंबीच भी करतार सिंह सराभा की प्रतिमा लगी हुई है।
गौरतलब है कि शहीद करतार सिंह सराभा को 16 नवम्बर 1915 के दिन स्वंतत्रता संग्राम के दौरान साढ़े 19 साल की उम्र में फांसी दे दी गई थी। जिनका का चित्र शहीद-ए-आजम भगतसिंह अपने पास रखते थे। उन्हीं के विचारों से प्रेरित होकर 3 नवम्बर 1980 को डीवाईएफआई की स्थापना सराभा गांव में हुई थी। करतार सिंह सराभा जब फांसी की कोठरी में कैद थे तब उनके दादा ने आकर कहा, करतार सिंह जिनके लिए मर रहे हो, वो तुम्हें गालियां देते हैं। तुम्हारे मरने से देश को कुछ लाभ होगा। करतार सिंह ने बहुत धीमे से पूछा-दादा जी, फलां रिश्तेदार कहां है। प्लेग से मर गया, फलां कहा हैं, हैजे से मर गया, तो आप क्या चाहते हैं कि करतार सिंह सराभा महीनों बिस्तर पर पड़ा रहे और पीड़ा से दुखी किसी रोग से मरे। क्या उस मौत से यह मौत हजार गुणा अच्छी नही। दादा जी चुप हो गए। डीवाईएफआई के हरियाणा राज्य सचिव नरेश दनोदा ने कहा कि इस ऐतिहासिक जगह पर नौजवान सभा का 46वाँ स्थापना दिवस आयोजित किया गया। इस मौके पर हरियाणा डीवाईएफआई के सैंकड़ों सदस्यों ने अपनी हिस्सेदारी की। इस दौरान डीवाईएफआई हिसार जिला सचिव जितेन्द्र बूरा, अशोक बूरा, भूपेश सोनी, प्रदीप बैनीवाल, परमिंदर, पवन, नरेश, सुरेन्द्र सदींप, मियां सिंह बिठमड़ा सहित सैंकड़ों युवाओं ने शहीद करतार सिंह सराभा पैतृक घर की यात्रा की जोकि काफी ज्ञानवर्धक व सफल रही।

