गांधी जयंती पर आज के दौर में साम्राज्यवाद व गांधीजी विषय पर सेेमिनार का आयोजन

 

03 OCT 2025 

न्यूज़ नगरी 

रिपोर्टर-काजल 

हिसार-डेमोक्रेटिक फोरम हिसार द्वारा गांधी जयंती के अवसर पर सर्वोदय भवन हिसार में आज के दौर में साम्राज्यवाद व गांधीजी विषय पर सेेमिनार का आयोजन किया गया। कामरेड सुरेन्द्र मलिक, राज्य उपाध्यक्ष सी.आई.टी.यू.हरियाणा मुख्य वक्ता रहे तथा फोरम के प्रधान योगेश शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। मंच संचालन सचिव सत्यवीर सिंह ने किया। सेमिनार को सर्वोदय भवन के संचालक धर्मवीर शर्मा ने भी संबोधित किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में लड़े स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उपजे आदर्श व सविंधान मे निहित संकल्प जिसमें उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद से स्वाधीनता, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समानता, आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय व आत्मनिर्भरता हमारी राष्ट्र निर्माण की नीतियों के मार्गदर्शक रहे हैं। यद्यपि देश के विभिन्न भागों मे अंग्रेजों की नीतियों के विरूद्ध आंदोलन हुए पर गांधी जी द्वारा रोल्ट एक्ट के विरूद्ध किया गया आंदोलन अखिल भारतीय स्तर का देेश में पहला आंदोलन था। इस आंदोलन ने देश को एक नई राष्ट्रीय पहचान दी। अहिंसा व सत्याग्रह के शांतिपूर्ण आंदोलन न केवल देश में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध प्रेरणास्रोत बने बल्कि दक्षिणी अफ्रीका व अन्य देशों के स्वतंत्रता आंदोलन भी इस से प्रेरित हुए। सम्प्रभुता की पहली शर्त आत्मनिर्भरता है। साम्राज्यवादी राष्ट्रों के असहयोग व विरोध के बीच देश ने आत्मनिर्भरता की राह के चलते औद्योगिकीकरण, भूमि सुधार बुनियादी ढांचा, विनिर्माण, शिक्षा व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र महत्वपूर्ण प्रगति की। सोवियत रुस के 1991 में विघटन के बाद साम्राज्यवादी देशों ने छोटे, गरीब व अल्पविकसित राष्ट्रों के शोषण की गति तेज कर दी। इनके सैनिक संगठन नाटों मे सदस्य संख्या दोगुनी हो गई है। सन् 2001से 2021 की अवधि में ही अमेरिकन सैनिक अभियानों मे 8 लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं, 3 करोड़ से अधिक लोग बेघर हुए है, अनेक राष्ट्रों ने अपनी सम्प्रभुता व स्वतन्त्रा खोई है तथा पीडि़त राष्ट्र बर्बादी, गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। अमेरिका हथियारों का सबसे बड़ा विक्रेता रहा है जिसका हथियार की बिक्री में 40त्न हिस्सा है। रुस की क्रांति के बाद बहुत से देशों मे चल रहे स्वतंत्रता के आंदोलन सफल हुए। नवोदित राष्ट्रों को प्रभुत्व मे लेने व उनके संसाधनों पर कब्जे के लिए नये प्रतिबंध व सैनिक अभियान किए जा रहे हैं। आज अमेरिका के नियंत्रण मे ही 80 देशों मे लगभग 750 सैन्य अड्डे है।

पूंजीवादी साम्राज्यवादी देशों मे जनता की हालत खराब है। बेरोजगारी के कारण क्रय शक्ति कमजोर है। इन्होंने अपने आर्थिक संकट को टालने के लिए कमजोर राष्ट्रों के संसाधनों यथा खनिज, तेल आदि पर कब्जा व युद्ध के माध्यम से हथियारों की बिक्री की नीति को अपनाया है। लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व एशिया, ईरान, ईराक, कतर, जोर्डन, सीरिया, यूक्रेन, कनाडा आदि सभी देशों के साथ इसी नीति के साथ कार्य हो रहा है। फिलिस्तीन के गजा इलाके मे पिछले 18 महीने मे ही लगभग 65000 लोग मरे हैं जिनमे अधिकांश अबोध बच्चे व महिलाएं हैं। भूखे प्यासे, जख्मी अस्पतालों में, भोजन पानी लेने गये निहत्थे लोगों पर भयंकर गोलीबारी जारी है। दवाईयां, भोजन, वस्त्र व अन्य राहत सामग्री ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसी तरह अमेरिकन साम्राज्यवाद का विरोध करने पर एक छोटे से कैरेबियन देश क्यूबा पर पूर्ण प्रतिबंध लगा हुआ है। भारत, ब्राजील आदि पर  50 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है। रुस से सस्ता तेल न खरीदने, कृषि व डेयरी उत्पादों को बहुराष्ट्रीय निगमों के लिए खोलने समेत कई मांग की जा रही हैं।

 अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की विदेश नीति शर्मनाक रुप बेहद विफल साबित हो रही है। एक समय गुटनिरपेक्ष आंदोलन व तीसरी दुनिया के नेता के रुप में देश का बड़ा सम्मान होता था। भारत ने हर  गुलाम देश की आजादी का समर्थन किया। आप्रेशन सिंदूर के समय इजराइल को छोडक़र भारत का समर्थन किसी भी देश ने नही किया। भारत  इरान पर हुए हमले पर संयुक्त राष्ट्र के युद्ध विराम संबंधित प्रस्ताव पर अनुपस्थित रहा। देश में रोजगार के अभाव के चलते अवैध रुप से अमेरिका गये बेरोजगार नौजवानों को जलील कर जिस तरीके से हथकङिय़ों बेङिय़ों से जकड़ कर हवाई अड्डों पर फैंका गया वो देश के लिए बेहद अपमान जनक है। नेपाल, वेनेजुएला, मैक्सिको जैसे छोटे देशों के युवक सम्मान से अमेरिका से  वापस लौटे है। कारपोरेट व बहुराष्ट्रीय निगमों के अधिकतम मुनाफे के लिए श्रमिकों के काम के घंटे दिन मे 10 से 12 किए जा रहे हैं। सेमिनार के बाद प्रतिभागियों ने गांधीजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया व सांप्रदायिकता, साम्राज्यवाद के विरुद्ध आंदोलन करने का संकल्प लिया।

https://www.newsnagri.in/2025/10/35-people-donated-blood-on-the-birth-anniversary-of-late-Ved-Jhandai.html

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